सरकार का नया आदेश: हर स्मार्टफोन में अनिवार्य रूप से इंस्टॉल होगा Sanchar Saathi ऐप, विवाद गहराया

भारत सरकार ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों (Apple, Samsung, Xiaomi सहित) को आदेश दिया है कि फरवरी 2026 से भारत में बिकने वाले हर नए फोन में Sanchar Saathi ऐप पहले से इंस्टॉल करना होगा। पुराने फोनों में भी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह ऐप डाला जाएगा। सबसे बड़ा विवाद इस बात पर है कि यह ऐप यूजर न तो डिसेबल कर सकेगा और न ही अनइंस्टॉल।

ऐप क्या-क्या करता है?

  • फर्जी कॉल, SMS, WhatsApp मैसेज की शिकायत (चक्षु फीचर)
  • स्पैम और अनचाही कमर्शियल कॉल की रिपोर्ट
  • खतरनाक लिंक और मैलवेयर की चेतावनी
  • अपने नाम पर लिए गए फर्जी सिम पता करना
  • चोरी या गुम हुए फोन का IMEI ब्लॉक करना
  • फोन असली है या नकली, यह चेक करना
  • विदेशी नंबर को भारतीय नंबर दिखाकर आने वाली कॉल की रिपोर्ट
  • बैंक व अन्य संस्थाओं के असली हेल्पलाइन नंबर चेक करना

लॉन्च के बाद से इस प्लेटफॉर्म की मदद से 42 लाख से ज्यादा चोरी के फोन ब्लॉक हुए और 7 लाख से ज्यादा फोन बरामद हुए हैं।

सरकार का तर्क

  • भारत में 120 करोड़ से ज्यादा मोबाइल यूजर्स हैं, साइबर फ्रॉड तेजी से बढ़ रहा है।
  • ज्यादातर लोग खुद से सिक्योरिटी ऐप डाउनलोड नहीं करते, इसलिए इसे हर फोन में डालना जरूरी है।
  • ऐप हटने न दिया जाए ताकि सुरक्षा लगातार बनी रहे।
  • सरकार का दावा: यह सर्विलांस के लिए नहीं, सिर्फ फ्रॉड रोकने के लिए है।

विरोध क्यों हो रहा है?

  1. विपक्ष (कांग्रेस, शिवसेना UBT आदि) इसे प्राइवेसी का उल्लंघन और संविधान के अनुच्छेद-21 पर हमला बता रहा है।
  2. KC वेणुगोपाल ने कहा – “यह असंवैधानिक से भी आगे की बात है।”
  3. प्रियंका चतुर्वेदी बोलीं – “सरकार पीछे के दरवाजे से फोन में घुस रही है।”
  4. इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) ने इसे “अनुपातहीन और यूजर की स्वतंत्रता पर हमला” बताया।
  5. इंडस्ट्री का डर: Apple जैसी कंपनियां तीसरे पक्ष का ऐसा ऐप जबरन नहीं डालतीं। आगे और भी सरकारी ऐप थोपे जा सकते हैं।
  6. बिना किसी पूर्व चर्चा के आदेश जारी होना भी कंपनियों को परेशान कर रहा है।

90 दिन का समय चल रहा है। कंपनियां सरकार से बात कर रही हैं कि कम से कम ऐप को रिमूव करने का ऑप्शन तो दिया जाए। प्राइवेसी एक्टिविस्ट ऐप के डेटा कलेक्शन की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं।

यह मामला सिर्फ एक ऐप का नहीं है – यह तय करेगा कि भविष्य में सरकार कितना दखल अपने नागरिकों के निजी डिवाइस में दे सकती है।

आप इस फैसले को सही मानते हैं या गलत? कमेंट में जरूर बताएं।

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