वाशिंगटन/तेल अवीव: दुनिया की सबसे रहस्यमयी और घातक खुफिया एजेंसी मोसाद को नया बॉस मिल गया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक चौंकाने वाले फैसले में अपने मिलिट्री सेक्रेटरी मेजर जनरल रोमन गोफमैन को मोसाद का चीफ बना दिया है। सबसे हैरानी की बात? गोफमैन का जासूसी दुनिया से कोई लेना-देना ही नहीं है! ये अपॉइंटमेंट कई सवाल खड़े कर रही है – क्या ये नेतन्याहू का पर्सनल फेवर है या कोई बड़ा स्ट्रैटेजिक मूव? आइए, जानते हैं पूरी स्टोरी।
मोसाद, जो विदेशी जासूसी और स्पेशल ऑपरेशंस के लिए मशहूर है, का ये नया चीफ मौजूदा हेड डेविड बार्निया की जगह लेगा। बार्निया का 5 साल का टर्म जून 2026 में खत्म हो रहा है। नेतन्याहू के ऑफिस से जारी बयान में गोफमैन को ‘बहुत काबिल अफसर’ बताया गया है। इसमें कहा गया कि युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री के मिलिट्री सेक्रेटरी के रोल में उन्होंने अपनी प्रोफेशनल स्किल्स साबित की हैं। नेतन्याहू ने खुद ट्वीट किया, “रोमन ने इजरायल के सबसे मुश्किल समय में मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होकर बहादुरी, जिम्मेदारी और रेयर प्रोफेशनल कैपेबिलिटी दिखाई। वो घर से कूदे और हमास के चरमपंथियों से लड़े, गंभीर घायल हुए – ये उनके कैरेक्टर की पूरी कहानी कहता है। मैं उन पर पूरा भरोसा करता हूं कि वो मोसाद को अगले सालों में लीड करेंगे।”
इजरायली मीडिया में ये खबर तहलका मचा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेतन्याहू ने मोसाद के अंदरूनी दो कैंडिडेट्स को ठुकरा दिया और बाहर से गोफमैन को चुना। उन्होंने कई उम्मीदवारों के ताबड़तोड़ इंटरव्यू लिए, फिर वरिष्ठ अफसरों की सलाहकार कमिटी को अप्रूवल के लिए प्रपोजल भेजा। गोफमैन ने इजरायली आर्मी आईडीएफ में कई ऑपरेशनल और कमांड रोल्स निभाए हैं। युद्ध के 7 फ्रंट्स पर उन्होंने तेजी से काम किया और मोसाद समेत सभी इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ क्लोज कॉन्टैक्ट में रहे। नेतन्याहू का कहना है, “गोफमैन मोसाद चीफ के लिए सबसे फिट कैंडिडेट हैं। उनकी सक्सेस हमारी सक्सेस है।”
रोमन गोफमैन कौन हैं? एक नजर में उनकी जिंदगी
गोफमैन की कहानी किसी फिल्मी हीरो जैसी लगती है। उनका जन्म 1976 में बेलारूस में हुआ था। महज 14 साल की उम्र में वो इजरायल शिफ्ट हो गए। 1995 में उन्होंने आर्मी जॉइन की और लंबा मिलिट्री करियर बनाया। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के वक्त वो नेशनल इन्फैंट्री ट्रेनिंग सेंटर के कमांडर थे। उसी दिन गाजा बॉर्डर के पास सेदरोत शहर में हमास चरमपंथियों से झड़प में वो बुरी तरह घायल हो गए। फिर अप्रैल 2024 में वो नेतन्याहू के ऑफिस कैबिनेट का हिस्सा बने।
गोफमैन को उनके राइट-विंग रिलिजियस ज्यूइश व्यूज के लिए जाना जाता है। उन्होंने वेस्ट बैंक की एक सेटलमेंट में बने एली येशिवा – एक ज्यूइश रिलिजियस स्कूल – से पढ़ाई की। हालांकि, वो रिलिजियस ज्यूज की तरह यार्मुलके (खास छोटी टोपी) नहीं पहनते। ये अपॉइंटमेंट शिन बेट चीफ डेविड जिनी की तरह है, जो भी बाहर से आए थे और नेशनलिस्ट विचारों के करीबी थे। लेकिन गोफमैन के केस में ज्यादा राजनीतिक बवाल नहीं हुआ।
कुछ क्रिटिक्स खुश नहीं हैं। इजरायल के लेफ्ट-विंग अखबार हारेत्ज के कॉलमिस्ट उरी मिसगाव ने गोफमैन को ‘मोसाद हेड के लिए अनफिट’ कहा। उन्होंने इंटेलिजेंस एक्सपीरियंस की कमी पर सवाल उठाए और कहा कि ये अपॉइंटमेंट नेतन्याहू की पर्सनल लॉयल्टी का रिजल्ट है।
मोसाद क्या है? क्यों है इतना स्पेशल?
बात मोसाद की हो और उसकी बैकस्टोरी न हो, ये तो बनता नहीं। इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस – यानी मोसाद – का गठन इजरायल के फर्स्ट पीएम डेविड बेन गुरियन ने 13 दिसंबर 1949 को किया था। ये इजरायल की नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी है, जो इंटेलिजेंस नेटवर्क का हिस्सा है। इसमें अमान (मिलिट्री इंटेलिजेंस) और शिन बेट (इंटरनल सिक्योरिटी) भी शामिल हैं। मोसाद विदेशी जासूसी, टेररिज्म से लड़ाई और कंट्री के हितों के लिए सीक्रेट मिशंस चलाती है। इसका डायरेक्टर डायरेक्टली पीएम को रिपोर्ट करता है। दुनिया भर में इसके ऑपरेशंस की कहानियां आज भी रहस्य बनी हुई हैं।
गोफमैन की एंट्री से मोसाद का फ्यूचर क्या होगा? क्या वो अपनी मिलिट्री स्किल्स से जासूसी को नया टर्न देंगे? वक्त ही बताएगा। फिलहाल, ये अपॉइंटमेंट इजरायल की पॉलिटिक्स और सिक्योरिटी को और गर्माती नजर आ रही है।
