भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल-सेल आधारित ट्रेन को सफलतापूर्वक तैयार कर लिया है। यह ट्रेन एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विकसित की गई है और इसका मुख्य उद्देश्य हाइड्रोजन ट्रैक्शन तकनीक का व्यावहारिक प्रदर्शन करना है, न कि अभी इसकी लागत को डीजल या इलेक्ट्रिक ट्रेनों से तुलना करना।
रेल मंत्री का लोकसभा में बयान
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सदन को बताया कि:
- यह ट्रेन RDSO के नवीनतम मानकों के अनुसार पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनाई जा रही है।
- डिजाइन, प्रोटोटाइप निर्माण, सिस्टम इंटीग्रेशन और जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर सब कुछ पहली बार भारत में ही विकसित किया गया है।
- चूंकि यह तकनीक अभी प्रारंभिक पायलट चरण में है, इसलिए इसकी लागत की तुलना मौजूदा डीजल या इलेक्ट्रिक सिस्टम से करना उचित नहीं है।
- यह परियोजना भारतीय रेल के स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा आधारित परिवहन के संकल्प को दर्शाती है।
ट्रेन की प्रमुख विशेषताएँ
- मौजूदा DEMU रेक को हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पावर सिस्टम के साथ रेट्रोफिट किया गया है।
- फ्यूल सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न करता है; इसका एकमात्र उत्सर्जन पानी की वाष्प और थोड़ी गर्मी है → पूरी तरह जीरो कार्बन।
- प्रत्येक ड्राइविंग पावर कार की क्षमता लगभग 1,200 HP (करीब 1,200 kW) है।
- पूरी 10 कोच वाली ट्रेन की कुल पावर क्षमता लगभग 2,400 kW है और यह एक साथ 2,600 से अधिक यात्रियों को ले जा सकती है।
- ट्रायल के दौरान यह 110 किमी/घंटा तक की रफ्तार पकड़ सकती है।
- निर्माण कार्य इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई ने किया है; ड्राइविंग पावर कार का सफल परीक्षण भी पूरा हो चुका है।
- ब्रॉड गेज ट्रैक पर चलने वाली यह दुनिया की सबसे लंबी और सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन-सेट में से एक है।
ट्रायल रूट और हाइड्रोजन इन्फ्रास्ट्रक्चर
- ट्रेन को उत्तरी रेलवे के दिल्ली डिवीजन को आवंटित किया गया है।
- पहला ट्रायल रन हरियाणा के जिंद–सोनीपत सेक्शन (लगभग 89 किमी) पर मार्च 2025 से शुरू हुआ।
- जिंद में नवीकरणीय ऊर्जा से चलने वाला ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन प्लांट (इलेक्ट्रोलिसिस आधारित) स्थापित किया गया है।
- हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण और रीफ्यूलिंग के लिए पूरी तरह एकीकृत सुविधाएँ बनाई जा रही हैं; PESO से सुरक्षा मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है।
लागत का अनुमान (पायलट चरण)
- एक हाइड्रोजन ट्रेन-सेट की अनुमानित लागत करीब 80 करोड़ रुपये।
- रूट पर जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत लगभग 70 करोड़ रुपये।
- भविष्य में करीब 35 ऐसी ट्रेनें बनाने के लिए कुल 2,800 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
पर्यावरण और भविष्य की दिशा
- यह परियोजना “Hydrogen for Heritage” योजना का हिस्सा है, जिसमें हेरिटेज और पहाड़ी रूटों पर भी हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना है।
- ट्रेन से सिर्फ पानी की वाष्प निकलती है, कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन शून्य है।
- पूरा प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत और हरित परिवहन के लक्ष्य की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
