हवाई यात्रा का सपना कब्रिस्तान बन गया है! इंडिगो एयरलाइंस का पायलटों की कमी से चला आया संकट इतना गहरा हो गया कि 5 दिसंबर 2025 को सैकड़ों फ्लाइट्स कैंसल हो गईं। हजारों पैसेंजर्स एयरपोर्ट्स पर फंसकर त्राहि-मद्द कर रहे हैं – दिल्ली से चेन्नई तक का सफर अब जंग बन चुका है। इसी को देखते हुए एविएशन रेगुलेटर DGCA ने तुरंत बड़ा कदम उठाया। वीकली रेस्ट के सख्त नियम को हटा दिया गया, ताकि पायलटों की कमी न पड़े और उड़ानें पटरी पर लौटें। लेकिन सवाल ये है – क्या ये फैसला पैसेंजर्स की परेशानी कम करेगा या सिर्फ एयरलाइंस को बेलआउट देगा? आइए, इस हादसे की पूरी कहानी को आसान शब्दों में समझते हैं, जो हर हवाई यात्री के लिए चेतावनी है।
इंडिगो का ये संकट रातोंरात नहीं आया। 1 जुलाई 2025 से शुरू हुए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों ने पूरी हवा उड़ा दी। पहले पायलटों को हफ्ते में 36 घंटे की रेस्ट मिलती थी, लेकिन अब ये बढ़कर 48 घंटे हो गई। साथ ही, नाइट फ्लाइंग पर ब्रेक – हफ्ते में सिर्फ दो लैंडिंग्स की इजाजत, जो पहले छह थीं। इंडिगो ने सोचा था कि उनके पास 2,357 कैप्टन और 2,194 फर्स्ट ऑफिसर्स हैं, जो दिसंबर के लिए काफी हैं। लेकिन गलत प्लानिंग की भूल ने सब उलट-पुलट कर दिया। नए नियमों के तहत ‘ऑन ड्यूटी’ पायलट भी उड़ान भरने लायक नहीं रहे, क्योंकि उनकी रेस्ट पूरी नहीं हुई। नतीजा? रोजाना 2,200 से ज्यादा फ्लाइट्स चलाने वाली ये एयरलाइंस अब धराशायी हो गई। 5 दिसंबर को ही 550 फ्लाइट्स कैंसल हो गईं, कुल मिलाकर 1,300 से ज्यादा। दिल्ली से बाहर जाने वाली सभी डॉमेस्टिक फ्लाइट्स मिडनाइट तक रद्द, चेन्नई से दूसरे शहरों की उड़ानें शाम 6 बजे तक बंद। पैसेंजर्स तीन-तीन दिन एयरपोर्ट पर भटक रहे, होटल की सुविधा नाममात्र की। इंडिगो का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस गुरुवार को गिरकर 8.5% रह गया। शेयर मार्केट में भी धमाल – कंपनी के शेयर 5,883 रुपये से लुढ़ककर 5,415 पर आ गए।
DGCA ने इस आपदा को देखते हुए तुरंत एक्शन लिया। 5 दिसंबर को जारी आदेश में उन्होंने वीकली रेस्ट के उस नियम को हटा दिया, जो कहता था कि ‘लीव को रेस्ट की जगह नहीं दिया जा सकता’। अब 48 घंटे की लिव को वीकली रेस्ट माना जा सकेगा, जिससे पायलटों का रोस्टर आसान हो जाएगा। ये दूसरा बदलाव है – इससे पहले 24 घंटे में ही कंसिक्यूटिव फ्लाइट आवर्स को 12 से बढ़ाकर 14 कर दिया गया था। सबसे बड़ा रिलीफ: नाइट ड्यूटी लिमिट्स से छूट मिली है, जो 10 फरवरी 2026 तक चलेगी। लेकिन ये छूट फ्री नहीं – हर 15 दिन में रिव्यू होगा और एयरलाइंस को 30 दिनों का कंप्लायंस रोडमैप देना पड़ेगा। DGCA चीफ फैज अहमद किदवई ने पायलट यूनियंस से अपील की कि वो कोऑपरेट करें। उन्होंने कहा, “फॉग सीजन, छुट्टियां और शादी का सीजन आने वाला है। पैसेंजर्स बढ़ेंगे, मौसम खराब होगा – सबको मिलकर काम करना होगा।” सिविल एविएशन मिनिस्टर के. रममोहन नायडू ने हाई-लेवल मीटिंग में इंडिगो को फटकार लगाई। उन्होंने चेतावनी दी कि ऑपरेशंस जल्द नॉर्मलाइज हों, वरना सख्त कार्रवाई। यूनियन पॉर्लियामेंटरी अफेयर्स मिनिस्टर किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में विपक्ष के सांसदों को भरोसा दिलाया कि सरकार टेक्निकल इश्यूज सॉल्व कर रही है।
इंडिगो ने भी सफाई दी। कंपनी ने X (पूर्व ट्विटर) पर माफी मांगी और कहा, “ये दिक्कतें रातोंरात ठीक नहीं होंगी। 5 दिसंबर को सबसे ज्यादा कैंसिलेशन होंगी, क्योंकि सिस्टम रीबूट हो रहा है। 6 दिसंबर से सुधार दिखेगा।” लेकिन पैसेंजर्स का गुस्सा ठंडा नहीं पड़ रहा। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं – लोग एयरपोर्ट पर सोते हुए, खाने के लिए लाइन लगाए। एक पैसेंजर ने लिखा, “ट्रेन ले ली, लेकिन इंडिगो ने सपना तोड़ दिया।” ये संकट सिर्फ इंडिगो का नहीं, पूरे एविएशन सेक्टर को हिला रहा है। पायलटों की थकान रोकने के लिए बने नियम अच्छे थे, लेकिन प्लानिंग की कमी ने उल्टा असर किया। अब सवाल ये है कि फरवरी 2026 तक क्या सब नॉर्मल हो जाएगा? या फिर और कैंसिलेशन का सिलसिला चलेगा?
DGCA का ये फैसला पैसेंजर्स को तत्काल राहत दे सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में सेफ्टी पर असर न पड़े, ये देखना जरूरी। एयरलाइंस को अब स्मार्ट प्लानिंग करनी होगी, ताकि ऐसे हादसे न हों। फिलहाल, अगर आपकी फ्लाइट इंडिगो की है, तो अलर्ट रहें – डिले हो सकती है। ये कहानी बताती है कि हवाई यात्रा कितनी नाजुक है, और रेगुलेटर्स का रोल कितना अहम। उम्मीद है, जल्द ही आसमान साफ होगा!
