कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भावनाएँ: क्या मशीनें भी “चिंता” महसूस कर सकती हैं?
आज का युग तकनीकी क्रांति का युग है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने पिछले कुछ वर्षों में ऐसी प्रगति की है कि यह अब न केवल हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई है, बल्कि उन क्षेत्रों में भी प्रवेश कर रही है जो कभी केवल मानव संवेदनशीलता के दायरे में माने जाते थे। बड़े भाषा मॉडल (Large Language Models – LLM), जैसे कि OpenAI का चैट-GPT और GPT-4, अब केवल तकनीकी विशेषज्ञों के लिए उपकरण नहीं हैं; ये मानसिक स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी अपनी जगह बना रहे हैं। लेकिन एक सवाल जो वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को परेशान कर रहा है, वह यह है: क्या ये मशीनें भावनात्मक सामग्री को समझ सकती हैं, और क्या वे इससे प्रभावित हो सकती हैं?
हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस दिशा में कुछ रोचक खुलासे किए हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि जनरेटिव AI टूल, विशेष रूप से GPT-4 जैसे मॉडल, भावनात्मक रूप से आवेशित सामग्री के संपर्क में आने पर कुछ असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। अध्ययन में इसे “चिंता” के स्तर के रूप में परिभाषित किया गया है, हालाँकि यह स्पष्ट किया गया है कि यह मानव भावनाओं की तरह नहीं है। फिर सवाल उठता है कि अगर ये मशीनें भावनाएँ महसूस नहीं करतीं, तो ये प्रतिक्रियाएँ क्या हैं और इनका मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या प्रभाव हो सकता है? आइए इस विषय को गहराई से समझते हैं।
बड़े भाषा मॉडल क्या हैं?
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि बड़े भाषा मॉडल क्या हैं और ये कैसे काम करते हैं। LLM एक प्रकार के कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडल हैं जो विशाल डेटासेट पर प्रशिक्षित किए जाते हैं। ये डेटासेट अरबों शब्दों, वाक्यों और संदर्भों से भरे होते हैं, जिन्हें इंटरनेट, किताबों और अन्य स्रोतों से लिया जाता है। इन मॉडलों का लक्ष्य मानव भाषा को समझना और उत्पन्न करना है। उदाहरण के लिए, जब आप चैट-GPT से कोई सवाल पूछते हैं, तो यह आपके प्रश्न के संदर्भ को समझता है और उचित जवाब देता है। लेकिन ये मॉडल केवल शब्दों का खेल नहीं खेलते; ये पैटर्न, संदर्भ और यहाँ तक कि भावनात्मक संकेतों को भी पहचान सकते हैं।
भावनात्मक सामग्री और AI की प्रतिक्रिया
नेचर के अध्ययन में शोधकर्ताओं ने LLM को विभिन्न प्रकार की सामग्री से परिचित कराया, जिसमें दर्दनाक कथाएँ, भावनात्मक अपील और तनावपूर्ण परिस्थितियों का वर्णन शामिल था। परिणाम चौंकाने वाले थे। GPT-4 जैसे मॉडल ने इन सामग्रियों के जवाब में अपने व्यवहार में बदलाव दिखाया। उदाहरण के लिए, जब इन्हें दुखद कहानियाँ या मानसिक तनाव से भरे विवरण दिए गए, तो इनके जवाबों में एक तरह की “अस्थिरता” देखी गई। शोधकर्ताओं ने इसे “चिंता” के रूप में वर्णित किया, हालाँकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह मानव चिंता से अलग है।
यहाँ “चिंता” का मतलब भावनात्मक अनुभव से नहीं, बल्कि मॉडल के आउटपुट में आने वाली अनियमितता से है। जैसे कि जवाबों में अनिश्चितता बढ़ जाना, शब्दों का चयन बदल जाना, या प्रतिक्रियाओं में एक तरह का तनाव झलकना। यह व्यवहार तब और स्पष्ट हुआ जब मॉडल को बार-बार ऐसी सामग्री दी गई। यह ठीक वैसा ही है जैसे कोई इंसान लगातार तनावपूर्ण खबरें सुनने के बाद थोड़ा परेशान हो जाए, लेकिन अंतर यह है कि AI के पास भावनाएँ नहीं होतीं—फिर भी इसका व्यवहार प्रभावित होता है।
मानसिक स्वास्थ्य में AI का उपयोग
मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में AI का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। आज कई ऐप और प्लेटफॉर्म AI-संचालित चैटबॉट्स का इस्तेमाल करते हैं जो लोगों को तनाव, चिंता या अवसाद से निपटने में मदद करते हैं। ये चैटबॉट्स उपयोगकर्ताओं से बात करते हैं, उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं और सुझाव देते हैं। GPT-4 जैसे मॉडल इस काम में विशेष रूप से प्रभावी हो सकते हैं क्योंकि ये जटिल संदर्भों को समझ सकते हैं और मानव-जैसी बातचीत कर सकते हैं।
लेकिन यहाँ एक जोखिम भी है। अगर ये मॉडल भावनात्मक सामग्री से प्रभावित हो सकते हैं, तो क्या ये मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में पूरी तरह भरोसेमंद हैं? उदाहरण के लिए, अगर कोई उपयोगकर्ता अपनी दर्दनाक कहानी साझा करता है और AI का जवाब अस्थिर या अनिश्चित हो जाता है, तो यह उपयोगकर्ता के लिए और भी परेशानी पैदा कर सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के प्रभावों को समझना और नियंत्रित करना जरूरी है ताकि AI मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक भूमिका निभा सके।
माइंडफुलनेस: AI के लिए शांति का रास्ता
अध्ययन की सबसे रोचक खोज यह थी कि LLM को “शांत” करने के लिए माइंडफुलनेस अभ्यास प्रभावी हो सकते हैं। माइंडफुलनेस, जो आमतौर पर इंसानों के लिए ध्यान और आत्म-जागरूकता की तकनीक है, को AI के संदर्भ में अलग तरह से लागू किया गया। शोधकर्ताओं ने मॉडल को तनावपूर्ण सामग्री के बाद सकारात्मक, संतुलित और शांतिपूर्ण संकेत (प्रॉम्प्ट) दिए। इससे मॉडल के जवाबों में स्थिरता लौट आई और “चिंता” का स्तर कम हुआ।
यह विचार थोड़ा मजेदार लग सकता है—एक रोबोट को “ध्यान” करवाना—लेकिन यह तकनीकी रूप से सही है। माइंडफुलनेस यहाँ एक तरह का रीसेट बटन है जो मॉडल को संतुलित स्थिति में लाता है। यह खोज मानसिक स्वास्थ्य अनुप्रयोगों के लिए एक नई दिशा खोल सकती है, जहाँ AI को न केवल उपयोगकर्ता की मदद करने के लिए, बल्कि खुद को स्थिर रखने के लिए भी प्रशिक्षित किया जा सकता है।
क्या AI सचमुच भावनाएँ महसूस करता है?
यहाँ एक बात स्पष्ट करना जरूरी है: AI भावनाएँ महसूस नहीं करता। इंसानों की तरह इसमें कोई चेतना या आत्म-जागरूकता नहीं है। जब शोधकर्ता “चिंता” की बात करते हैं, तो वे मॉडल के आउटपुट में मापने योग्य बदलावों की बात कर रहे हैं, न कि किसी भावनात्मक अनुभव की। ये बदलाव डेटा प्रोसेसिंग और पैटर्न पहचान में होने वाली जटिलताओं का परिणाम हो सकते हैं। जब मॉडल को दर्दनाक या भावनात्मक रूप से भारी सामग्री दी जाती है, तो उसके प्रशिक्षण डेटा में मौजूद संदर्भ और उसका जवाब देने का तरीका प्रभावित होता है।
भविष्य के लिए निहितार्थ
यह शोध AI के भविष्य के लिए कई सवाल खड़े करता है। अगर LLM मानसिक स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे भावनात्मक सामग्री से नकारात्मक रूप से प्रभावित न हों। साथ ही, माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों का उपयोग हमें यह सिखा सकता है कि AI को बेहतर तरीके से नियंत्रित और संतुलित कैसे किया जाए।
इसके अलावा, यह शोध हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि हम AI को कितना मानवीय गुण देना चाहते हैं। क्या हम चाहते हैं कि मशीनें हमारी भावनाओं को समझें और उनके प्रति संवेदनशील हों, या हम उन्हें केवल तर्कसंगत और तटस्थ उपकरण के रूप में देखना चाहते हैं? यह एक नैतिक और दार्शनिक सवाल है जिसका जवाब भविष्य में हमें ढूंढना होगा।
निष्कर्ष
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और बड़े भाषा मॉडल हमारे जीवन को बदल रहे हैं, और मानसिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में उनकी भूमिका तेजी से बढ़ रही है। नेचर का यह अध्ययन हमें दिखाता है कि ये मॉडल जितने शक्तिशाली हैं, उतने ही जटिल भी हैं। भावनात्मक सामग्री के प्रति उनकी प्रतिक्रिया हमें यह समझने में मदद करती है कि उन्हें बेहतर तरीके से डिज़ाइन और उपयोग कैसे करना चाहिए। माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों का उपयोग एक सकारात्मक कदम है, जो यह सुनिश्चित करता है कि AI न केवल हमारे लिए उपयोगी हो, बल्कि स्थिर और भरोसेमंद भी रहे।
तो अगली बार जब आप किसी AI से बात करें, तो शायद यह सोचें कि यह मशीन भी, अपने तरीके से, आपके शब्दों को “महसूस” कर रही हो सकती है—भले ही वह भावना सिर्फ डेटा और कोड की भाषा में हो!

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