NISM Mutual Fund Distributors Exam Notes :2025

निवेश की मूल बातें


निवेश क्यों?


निवेश व्यक्ति के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है, जैसे उच्च शिक्षा, घर खरीदना, या सेवानिवृत्ति के बाद के खर्चों के लिए।


• बचत बनाम निवेश:


• बचत: पैसे की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है।
• निवेश: लाभ कमाने पर ध्यान केंद्रित करता है, लेकिन इसमें जोखिम भी होता है।
• निवेश के प्रकार:
• शॉर्ट-टर्म: तरलता और सुरक्षा पर ध्यान।
• लॉन्ग-टर्म: पूंजी वृद्धि पर ध्यान।


म्यूचुअल फंड की अवधारणा


• म्यूचुअल फंड क्या है?


म्यूचुअल फंड एक ऐसा फंड है जो निवेशकों से पैसा जुटाता है और उसे विभिन्न प्रतिभूतियों (जैसे इक्विटी, डेट, कमोडिटी) में निवेश करता है।


• म्यूचुअल फंड के प्रकार:


• इक्विटी फंड: शेयर बाजार में निवेश।
• डेट फंड: बॉन्ड और डेट सिक्योरिटीज में निवेश।
• हाइब्रिड फंड: इक्विटी और डेट दोनों में निवेश।
• इंडेक्स फंड: किसी विशेष इंडेक्स को ट्रैक करता है।
• ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड): स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं।
• म्यूचुअल फंड के लाभ:
• पेशेवर प्रबंधन।
• विविधीकरण।
• तरलता।
• कर लाभ।


म्यूचुअल फंड का विनियमन


• सेबी (SEBI):
भारत में म्यूचुअल फंड सेबी (Securities and Exchange Board of India) द्वारा विनियमित होते हैं। सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा करता है और म्यूचुअल फंड के संचालन को नियंत्रित करता है।
• AMFI (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया):
यह म्यूचुअल फंड उद्योग का स्व-नियामक संगठन है।


म्यूचुअल फंड के जोखिम


• बाजार जोखिम: बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण निवेश के मूल्य में गिरावट।
• क्रेडिट जोखिम: डेट सिक्योरिटीज में निवेश के मामले में जारीकर्ता द्वारा डिफॉल्ट का जोखिम।
• तरलता जोखिम: निवेश को जल्दी से नकदी में बदलने में कठिनाई।
• ब्याज दर जोखिम: ब्याज दरों में बदलाव के कारण डेट सिक्योरिटीज के मूल्य में उतार-चढ़ाव।


निवेशक सेवाएं


• SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान):
नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करना।
• SWP (सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान):
नियमित अंतराल पर निवेश से राशि निकालना।
• STP (सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान):
एक फंड से दूसरे फंड में राशि स्थानांतरित करना।


कराधान


• इक्विटी फंड:
• लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (1 साल से अधिक): 10% कर।
• शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (1 साल से कम): 15% कर।
• डेट फंड:
• लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (3 साल से अधिक): 20% इंडेक्सेशन के साथ।
• शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (3 साल से कम): निवेशक की आय स्लैब के अनुसार कर।


म्यूचुअल फंड चयन के लिए कारक


• निवेशक की जोखिम प्रोफाइल:
• कम जोखिम: डेट फंड, लिक्विड फंड।
• मध्यम जोखिम: हाइब्रिड फंड।
• उच्च जोखिम: इक्विटी फंड।
• निवेश का उद्देश्य:
•पूंजी वृद्धि: इक्विटी फंड।
• आय: डेट फंड।
• निवेश की अवधि:
• शॉर्ट-टर्म: लिक्विड फंड।
• लॉन्ग-टर्म: इक्विटी फंड।


म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर की भूमिका


• डिस्ट्रीब्यूटर:
म्यूचुअल फंड योजनाओं को बेचने और निवेशकों को सलाह देने का काम करता है।
• कमीशन:
डिस्ट्रीब्यूटर को ट्रेल कमीशन और अग्रिम कमीशन मिलता है।


NAV (नेट एसेट वैल्यू)


• NAV:
म्यूचुअल फंड की प्रति यूनिट की कीमत।
• NAV = (कुल संपत्ति – कुल देनदारियां) / बकाया यूनिट्स की संख्या।


म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन का मूल्यांकन


म्यूचुअल फंड चयन के लिए टिप्स


• पोर्टफोलियो विविधीकरण:
विभिन्न प्रकार के फंड में निवेश करके जोखिम को कम करें।
• फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड:
फंड मैनेजर के पिछले प्रदर्शन की जांच करें।
• एक्सपेंस रेशियो:
कम एक्सपेंस रेशियो वाले फंड को प्राथमिकता दें।


महत्वपूर्ण शब्दावली


• AUM (Assets Under Management):
फंड द्वारा प्रबंधित कुल संपत्ति।
• TER (Total Expense Ratio):
फंड के प्रबंधन और संचालन की कुल लागत।
• KYC (Know Your Customer):
निवेशक की पहचान और पते की जांच करने की प्रक्रिया।


परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु


• सेबी विनियम:
म्यूचुअल फंड से संबंधित सेबी के नियम और विनियम।
• फंड की श्रेणियां:
इक्विटी, डेट, हाइब्रिड, इंडेक्स, ईटीएफ आदि।
• निवेशक अधिकार:
निवेशकों के अधिकार और शिकायत निवारण तंत्र।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


i- KYC पूरा करें।
ii- एक AMC या डिस्ट्रीब्यूटर के साथ खाता खोलें।
iii- SIP या लम्पसम निवेश शुरू करें।


i विविधीकरण करें।
ii लंबी अवधि के लिए निवेश करें।
iii जोखिम प्रोफाइल के अनुसार फंड चुनें।


यह नोट्स आपको एनआईएसएम – म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर परीक्षा की तैयारी में मदद करेंगे। परीक्षा में सफलता के लिए नियमित अभ्यास और अवधारणाओं की गहरी समझ आवश्यक है।

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