सन 1986 में भारत ने अपने विमान के लिए स्वदेशी इंजन बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया । जिसकी जिम्मेदारी हमारी DRDO को दी गई जिसने बहुत सी नेशनल और इंटरनेशनल समस्याओं का सामना करते हुए 38 साल बाद अपना स्वदेशी इंजन कावेरी को तैयार कर लिया है । जिसकी जिम्मेदारी हमारी DRDO को दी गई जिसने बहुत सी नेशनल और इंटरनेशनल समस्याओं का सामना करते हुए 38 साल बाद अपना स्वदेशी इंजन कावेरी को तैयार कर लिया है ।
डीआरडीओ की इस स्पेशल लेबोरेट्री GTRE जो बेंगलुरु में स्थित है उसने कावेरी इंजन को तैयार कर लिया है जिसका वजन 1180 KG है और यह कावेरी इंजन 49 से 51 KN( किलो न्यूटन) Thrust को जनरेट करता है ये फिलहाल घातक प्रोजेक्ट के लिए उपयोगी है ।अभी फिलहाल तेजस विमान का इंजन है F404 अमेरिका से ले रहे हैं जिसका वजन 1035 kg है और फ्रांस की कंपनी safran इंजन का वजन 1040 kg है । काबेरी इंजन का वजन कम करके डीआरडीओ फाइटर जेट विमान में भी यूज़ करेगा ,अगर कावेरी इंजन का भजन कम हो जाता है ,तो वह अपने तेजस विमान फाइटर के लिए भी यूज़ कर सकते हैं ।
अभी फिलहाल तेजस विमान का इंजन है F404 अमेरिका से ले रहे हैं जिसका वजन 1035 kg है और फ्रांस की कंपनी safran इंजन का वजन 1040 kg है । काबेरी इंजन का वजन कम करके डीआरडीओ फाइटर जेट विमान में भी यूज़ करेगा ,अगर कावेरी इंजन का भजन कम हो जाता है ,तो वह अपने तेजस विमान फाइटर के लिए भी यूज़ कर सकते हैं कावेरी इंजन का वजन ज्यादा होने के कारण फाइटरजेट ओर विमान में कम फ्यूल और कम वजन को ले जाएंगे ।
इसके लिए डीआरडीओ की GTRE इस पर कार्य कर रही है ,जो एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि का वजन कम करने के साथ ही साथ यह भी देखना होगा कि इंजन reliable, efficient और सभी विशेषताओं को पूर्ण करें अगर ये सब डीआरडीओ की लैब जीटीआरई को लेता है तो भारत के लिए बहुत ही उपयोगी होगाअगर का ब्रीयन का वजन ज्यादा है तो हमारे फाइटर जेट और भी मान कम फील्ड के साथ कम भजन की सामरिक सामग्री को ले जा सकते हैं। इस कावेरी इंजन का फ्लाइट ट्रायल रूस में भारत कर रहा है।
