धर्म परिवर्तन और SC/ST आरक्षण की स्थिति: कानूनी दृष्टिकोण
1. संवैधानिक प्रावधान
अनुसूचित जाति आदेश, 1950 के अनुसार, SC का दर्जा केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म मानने वालों को ही प्राप्त है।
यदि कोई SC व्यक्ति ईसाई या मुस्लिम धर्म अपना लेता है, तो उसका SC दर्जा स्वतः समाप्त हो जाता है।
अनुच्छेद 341 के तहत, राष्ट्रपति ने यह नियम बनाया है कि SC/ST का दर्जा धर्म-आधारित है।
2. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला
हाल ही में, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला दिया कि:
- यदि कोई SC व्यक्ति ईसाई या मुस्लिम बन जाता है, तो उसे SC/ST एक्ट, 1989 के तहत सुरक्षा नहीं मिलेगी।
- उदाहरण: एक व्यक्ति ने ईसाई धर्म अपनाया और 10 साल तक पादरी के रूप में काम किया। बाद में उसने SC/ST एक्ट के तहत शिकायत की, लेकिन कोर्ट ने माना कि वह अब SC श्रेणी में नहीं आता।
3. क्या धर्म बदलने से आरक्षण खत्म होता है?
हाँ, यदि कोई SC/ST व्यक्ति ईसाई या मुस्लिम बन जाता है, तो:
- उसका आरक्षण का लाभ समाप्त हो जाता है।
- वह SC/ST एक्ट के तहत सुरक्षा का दावा नहीं कर सकता।
लेकिन, यदि वह बौद्ध या सिख धर्म अपनाता है, तो SC दर्जा बना रहता है।
4. क्यों यह नियम बनाया गया?
ऐतिहासिक कारण: SC/ST आरक्षण उन समुदायों के लिए है जिन्हें हिंदू धर्म में जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा।
धर्मांतरण का दुरुपयोग रोकना: कुछ लोग केवल आरक्षण पाने के लिए धर्म बदलते हैं, जिसे रोकने के लिए यह नियम है।
5. क्या राज्य सरकारें इसे बदल सकती हैं?
आंध्र प्रदेश सरकार ने 2023 में केंद्र से अनुरोध किया कि ईसाई दलितों को भी SC दर्जा दिया जाए।
लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इस पर कोई बदलाव नहीं किया है।
6. महत्वपूर्ण कानूनी धाराएँ
- SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989: SC/ST समुदाय के खिलाफ हिंसा या अपमान पर सख्त सजा।
- अनुच्छेद 330: लोकसभा में SC/ST के लिए आरक्षित सीटें।
- अनुच्छेद 332: राज्य विधानसभाओं में आरक्षण।
- अनुच्छेद 335: सेवाओं और पदों के लिए SC/ST के दावों का संरक्षण।
SC दर्जा धर्म-आधारित है। ईसाई/मुस्लिम बनने पर आरक्षण समाप्त हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लाभ के लिए धर्म बदलना संविधान के साथ धोखा है। हालांकि, यह मुद्दा सामाजिक न्याय और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने की चुनौती प्रस्तुत करता है।
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